श्रीनगर. भारतीय सेना के जवानों ने इंजीनियरिंग की मिसाल कायम की है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लेह में सिंधु नदी पर 260 फीट लंबा सस्पेंशन ब्रिज महज 40 दिन में बना दिया। इस नदी पर बना यह सबसे लंबा संस्पेंशन ब्रिज है। सोमवार को यह मैत्री ब्रिज आम लोगों के लिए खोल दिया गया। इस मौके पर लोगों ने सेना का शुक्रिया अदा किया।
यह पुल लेह के लोगों और सेना के संबंधों का प्रतीक
सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के कॉम्बेट इंजीनियर्स ने यह पुल लेह के छोग्लाम्सार गांव में बनाया है। यह पुल लेह-लद्दाख क्षेत्र में सेना और आम जनता के बीच संबंधों का प्रतीक है। इसलिए इसे मैत्री पुल नाम दिया गया है। इस पुल को बनाने में करीब 500 टन उपकरण और निर्माण सामग्री यहां लाई गई।
89 साल के सेवानिवृत सैनिक नायक फुंचोक आंगदस और 1947 से लेकर कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैनिकों ने सोमवार को इस पुल का उद्घाटन किया। इस मौके पर सेना और स्थानीय प्रशासन के कई अफसर मौजूद रहे।
लद्दाख के 3 गांवों के लिए मददगार रहेगा यह पुल
मैत्री पुल के बनने से लद्दाख के लोगों को बड़ी राहत मिली है। यह पुल लद्दाख के तीन सबसे बड़े गांवों छोग्लाम्सार, स्तोक और छुछोत के लोगों के लिए मददगार साबित होगा।
a'10 सेमी के 60 टुकड़े ट्रैक किए गए'
नासा प्रमुख जिम ब्राइडनस्टाइन अपने कर्मचारियों को संबोधित कर कर रहे थे। उन्होंने कहा, "हम भारतीय सैटेलाइट के टुकड़ों को ट्रैक करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब तक हमने 10 सेमी या उससे बड़े 60 टुकड़ों को ट्रैक किया है।" यह सैटेलाइट आईएसएस से नीचे स्थित था।
ब्राइडनस्टाइन के मुताबिक, "24 टुकड़े आईएसएस के पास चक्कर लगा रहे हैं, यह खतरनाक साबित हो सकते हैं। चिंता की बात यह है कि सैटेलाइट नष्ट किए जाने के बाद मलबा आईएसएस के ऊपर पहुंच गया है। इस तरह की गतिविधियां भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए अच्छी साबित नहीं होंगी। यह हमें स्वीकार्य नहीं है। नासा का रुख इस मामले में काफी स्पष्ट है।"
वहीं, अमेरिकी सेना के मुताबिक- अब तक 10 सेमी से बड़े करीब 23 हजार टुकड़े ट्रैक किए गए हैं। ये टुकड़े मलबे के रूप में फैले हैं। इनमें 3 हजार टुकड़े 2007 में चीनी एंटी-सैटेलाइट टेस्ट में निकले थे।
नासा चीफ ने यह भी कहा कि आईएसएस से टुकड़ों के टकराने का खतरा 44% तक बढ़ चुका है। हालांकि यह खतरा समय के साथ कम हो जाएगा क्योंकि वायुमंडल में प्रवेश के साथ ही मलबा जल जाएगा।
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